जिंदा हूँ मैं अब भी, चलती हैं ये साँसें आज भी,
धड़कता है दिल अब भी, मुस्कुरा देती हूँ मैं आज भी,
मगर.... मगर.. कुछ भी नही,
हाँ सब कुछ वही है, बदला कुछ भी नही!
आज भी कभी यूँ ही बिन बात मुस्कुराया करती हूँ,
आज भी रातों को अपने रूठे दिल को मनाया करती हूँ,
आज भी बारिश की बूंदें देखकर मचल सी जाती हूँ,
आज भी बदला कुछ भी नही, दिल को ये समझाती हूँ,
आज भी बहुत कुछ है कहने को, जो मैं कह पाती नही,
मगर.... मगर.... कुछ भी नही,
हाँ सब कुछ वही है, बदला कुछ भी नही!
न बदला मेरा प्यार है, न टूटा मेरा ऐतबार है,
न बदली मेरी फितरत है, न उतरा तेरा खुमार है,
मैं भी वही हूँ,
मेरी मुहब्बत भी वही है,
मेरी इबादत भी वही है,
मगर....मगर.... कुछ भी नही,
हाँ सब कुछ वही है, बदला कुछ भी नही!
To be continued...
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