यूँ आ जाओ कभी तुम ख्वाबों में,
कि नजरों को भी खबर न हो...
कि नजरों को भी खबर न हो...
ऐसी एक रात दे दो तुम मुझे,
कि जिसके बाद फिर सहर न हो...
कि जिसके बाद फिर सहर न हो...
खामोशी से ऐसे देखूँ तुझे मैं तमाम रात,
कि जैसे मुझको अपनी खबर न हो...
कि जैसे मुझको अपनी खबर न हो...
जब भी देखूँ तेरा चेहरा हो आँखों में,
कि जैसे किसी और पर मेरी नजर न हो...
कि जैसे किसी और पर मेरी नजर न हो...
मिलूँ हमेशा ऐसे मैं तुझसे,
कि दरमियाँ हमारे जरा फासला न हो...
कि दरमियाँ हमारे जरा फासला न हो...
तेरे बिना जीने की गर करूँ दुआ कभी मैं,
तो मेरी दुआओं में भी असर न हो...
तो मेरी दुआओं में भी असर न हो...
यूँ चलती रहूँ संग मैं तेरे सदा,
कि कभी खत्म अपना ये सफर न हो...
कि कभी खत्म अपना ये सफर न हो...
❤कन्या❤
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