'यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता !'
हमारे पौराणिक ग्रन्थों में लिखा है जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं | वर्तमान में यह कथन कितना सार्थक है हम सभी जानते हैं| एक ओर नवरात्रों में नारी के माँ दुर्गा स्वरूप की पूजा होती है वहीं दूसरी ओर उसके सम्मान का हनन होता है| कहीं दहेज के लिए किसी अबला की बलि चढ़ा दी जाती है तो कहीं किसी नाबालिग के साथ दुष्कर्म हुआ ऐसी अनगिनत खबरों से हम रोज रूबरू होते हैं, किन्तु क्या इन खबरों का हम पर कोइ असर होता है? शायद नहीं| हाँ कुछ पलों के लिए मन विचलित होता है और गुस्सा भी आता है किन्तु कुछ समय बाद फिर वही उदासीनता की स्थिति| इस व्यस्त जीवन की भागदौड़ नें हमें मानवीय भावनाओं के प्रति उदासीन कर दिया है|
घरेलु हिंसा, दुष्कर्म, दहेज के लिए बलि, कार्यस्थल में उत्पीड़न जैसी समस्याएँ आम हो गयी हैं| स्थिति और अधिक दयनीय इसलिए हो जाती है क्योंकि इस प्रकार की अमानवीय यातनाओं को सहन करने के बाद भी एक महिला को ही दीन दृष्टि से देखा जाता है| नारी होना ही नारी के लिए अभिशाप हो गया है| हम एक पुरूष प्रधान समाज में रहते हैं इसमें कोइ दो राय नही है किन्तु नारी इस समाज का अभिन्न अंग है इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता है|
जब भी निर्भया कांड जैसी बड़ी आपराधिक घटना सामने आती है मीडिया में उसे प्रमुखता से दिखाया जाता है, नेता बयान देने में व्यस्त हो जाते हैं, जाँच के लिए एक नयी समिति बना दी जाती है और कुछ दिनों बाद अपराध को रोकने के लिए एक नया कानून बना दिया जाता है| क्या कानून बना देना ही समस्या का हल है? क्या इन कानूनों का वास्तविकता में पालन होता है? क्या कानून बना देने से अपराध समाप्त हो जाते हैं? इन अनगिनत प्रश्नों का उत्तर हम सभी को पता है| नैतिकता और संस्कारों का कोइ मूल्य नही रह गया है|
मौजूदा हालातों को बदलने के लिए हमें स्वयं को बदलना होगा| एक सुदृढ़ समाज की परिकल्पना करने से पहले हमें स्वीकार करना होगा कि पुरूष और महिला दोनो को समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए| महिलाओं को स्वयं को मजबूत बनाना होगा हर परिस्थिति से लड़ने के लिए| सरकार और समाज को भी इस दिशा में व्यापक कदम उठानें होंगे| स्कूल-कॉलेज स्तर पर सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग की शुरूआत हो और आपराधिक मामलों में उचित व समय पर न्याय हो इन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए| महिलाओं को अपने विरूद्ध होने वाले अन्याय के विरूद्ध आवाज बुलंद करनी होगी और यह सिद्ध करना होगा कि वह किसी से कम नही है|
जमीर भी बदलेंगें, जज्बात भी बदलेंगें|
होंगें बुलंद हौंसले तो हालात भी बदलेंगें||
♥कन्या
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