वो ऐसा है, वो वैसा है, मैं जानूँ न वो कैसा है ... आवारा बादल है वो, शायद थोड़ा सा पागल है वो... फूलों से लिपटी खुशबु है, ठंडी हवा का झोंका है... बहते हुए झरने के जैसा है, या नदियों की लहरों जैसा है... वो ऐसा है, वो वैसा है, मैं जानूँ न वो कैसा है... बहारों का खूबसूरत नजारा है, जगमग करता वो कोईff सितारा है... मुस्कुराती सुबह ती धूप है, उसकी बातें भी खूब हैं... बूंद ओस की है, या लहर मौज की है... रेत में लकीर सा है, वो मेरे ख्यालों जैसा है... वो ऐसा है, वो वैसा है, मैं जानूँ न वो कैसा है... ♥ KaNyA